अपनी दासता की कैद से अब तो मुक्त हो जाने दो। अपनी दासता की कैद से अब तो मुक्त हो जाने दो।
मानवता ढलक रही है, इंसानियत भटक रही है। मानवता ढलक रही है, इंसानियत भटक रही है।
जिंदगी का सिलेबस बहुत ही असीमित है इसकी कोई किताब नहीं जिंदगी का सिलेबस बहुत ही असीमित है इसकी कोई किताब नहीं
मैं घोर रात अमावस की बन जाऊँ तुम चांदनी रात सी चमक जाना। मैं घोर रात अमावस की बन जाऊँ तुम चांदनी रात सी चमक जाना।
सच झूठ से ऊंचा, फिर भी सच का उड़ता मज़ाक, सच की खामोशी को दबा रहा है झूठ की आवाज़, सच झूठ से ऊंचा, फिर भी सच का उड़ता मज़ाक, सच की खामोशी को दबा रहा है झूठ की आ...
अब मेरी जिंदगी में कुछ भी नहीं, फिर भी जिए जा रही हूं। अब मेरी जिंदगी में कुछ भी नहीं, फिर भी जिए जा रही हूं।